"रामायण" को बिचमी भिन्नता

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===७. उत्तर काण्ड===
उत्तर काण्ड [[राम]] कथा को छाड्डीबारो भाग हो। [[सीता]], [[लक्ष्मण]] रे सबै [[वानरसेना]] का साथ [[राम]] [[अयोध्या]] फिर्ता पुग्या। [[राम]] को भव्य स्वागत भयो, [[भरत]] सितै सबै जानमा आनन्द व्याप्त होई गयो। वेद रे [[शिव]] की स्तुति का साथ [[राम]] को [[राज्याभिषेक]] भयो। [[राम]] ले प्रजालाइ उपदेश दिया रे प्रजा ने कृतज्ञता प्रकट गर्या। चारै भाइनका दुइ दुइ चेला भया । [[रामराज्य]] एक आदर्श होइ गयो<ref>‘वाल्मीकीय रामायण’, प्रकाशक: देहाती पुस्तक भणार, दिल्ली पृष्ठ ४६३-४७५</ref> सीता को निर्वासन,<ref>‘वाल्मीकीय रामायण’‘, प्रकाशक: देहाती पुस्तक भणार, दिल्ली पृष्ठ ४८०-४८३</ref> राजा नृग, राजा निमि, राजा ययाति रे रामराज्य मा कुकुर का न्याय को उपकथाअन,<ref>‘वाल्मीकीय रामायण’, प्रकाशक: देहाती पुस्तक भणार, दिल्ली पृष्ठ ४८५-४९१</ref> लवकुश को जन्म,<ref>‘वाल्मीकीय रामायण’, प्रकाशक: देहाती पुस्तक भणार, दिल्ली पृष्ठ ४९५-४९६</ref> राम का द्वारा अश्वमेघ यज्ञ को अनुष्ठान रे उई यज्ञ माइ उनरा चेला लव रे कुशले महाकवि वाल्मीकि रचित रामायण गायाको, सीताको धर्ति भितरि प्रवेश,<ref>‘वाल्मीकीय रामायण’, प्रकाशक: देहाती पुस्तक भणार, दिल्ली पृष्ठ ५०८-५१२</ref> लक्ष्मण लाई परित्याग,<ref>‘वाल्मीकीय रामायण’, प्रकाशक: देहाती पुस्तक भणार, दिल्ली पृष्ठ ५१५-५१८</ref> ५१५ ५१८ को लै वर्णन अरिया: छ। वाल्मीकि रामायणमी उत्तरकाण्ड को समापन राम का महाप्रयाण पछा भया होछा।हो।<ref>‘वाल्मीकीय रामायण’, प्रकाशक: देहाती पुस्तक भंडारभणार, दिल्ली पृष्ठ ५१८-५२०</ref>
 
==रामकथा को कथा==
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