"वसन्त ऋतु" को बिचमी भिन्नता

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{{मौसम}}
[[File:Colorful spring garden.jpg|thumb|right|300px|वसन्त ऋृतु को रङ्गीन बघैंचा]]
'''वसन्त ऋतु''' शिशिर ऋतु रे गृष्म ऋतु का बीच मी आउन्या तथा ६ ( पश्चिमि सभ्यता मी ४) ऋतुउन माइ मनमोहक [[ऋतु|ऋतु]] हो। वसन्त भण्णा ले बहार (यौवनावस्था) भण्ण्या बुझिन्छ। वसन्तयिसो माणियाऽ छ कि माघ मैना कि शुक्ल पञ्चमी बठै बसन्त ऋतु माइको प्रकृतिशुरू हन्छ।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/religion/occasion/others/0802/09/1080209020_1.htm|title= ऋतुराज वसंत |accessmonthday=[[७ फेब्रुअरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= एचटीएम|publisher= वेबदुनिया|language=}}</ref> वर्ष को यक ऋतु जै मी बहारवातावरण आउँछे।को हिन्दूतापमान धर्मप्राय: कासामान्य महान(सन्तुलित ग्रन्थमौसम) गीताहन्छ; माइयो भगवानठउर श्रीरे कृष्णदेश लेअन्सारअ अर्जुनजुद‍जुदाइ लाइबगत "मुइमी ऋतुउनऔन्छ। माइनेपाल वसन्तमी चैत रे बैसाक मैना बसन्त ऋतु हुँ"का माणीनान् भँण्या भँणिराइछन्।उत्तर पौराणिकभारत तथा आधुनिकऔर कविइनकेइ लेठउर फागुन रे चैत मैना लाइ बसन्त ऋतु मथिमाण्ण्या सयौँचलन कविताअनछ। लेखिराइछन्।यिसै बसन्तप्रकार माइले हिन्दु गरमपञ्चाङ्ग अन्सारअ ठण्ण, ठिक्कवर्ष को मौसमअन्त हन्छ।रे प्रकृतिशुरू नौलिवसन्त काँचुलीऋतु बदेलन्छे।बठै हिन्दूहुन्छ मैनाहम(नेपाल मी बैसाक रे भारत का मी चैत मैना चैतबठै रेनौला बैसाकवर्ष मैनाशुरू हुन्छ)। बसन्त ऋतु माइ पड्डान्।न गरम न ठण्ण, ठिक्क को मौसम हन्छ। प्रकृति नौलि काँचुली बदेलन्छे। बसन्त ऋतु सबै है रामड़ो, रमाइलो रे मनमोहक ऋतु हो। बसन्त ऋतु माइ सप्पै बोटबट्यौलाअन का पुरना पात झड्डान् रे नौला पात औनाहान्। बसन्त ऋति माइ जाइँताइँ हरियाली हन्छे।हन्छे रे रङ्ङिविरङ्ङि फूल ले मनमोहक वातावरण हुन्छ जै कारण ले येइ ऋतु लाइ उत्सब मनौनाइ खिलाइ सर्वश्रेष्ठ माणीरैछ<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2004/02/040213_pakistan_kite.shtml|title= वसंत पर पतंग की उड़ान|accessmonthday=[[७ फेब्रुअरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= एसएचटीएमएल|publisher= बीबीसी|language=}}</ref> रे यै ऋतु लाइ सप्पैऋतुराज को लगै भँणिन्छ।<ref>{{cite web |url=http://www.amarujala.com/dharam/default1.asp?foldername=20060131&sid=1|title= वसंत पंचमी पर विशेष|accessmonthday=[[७ फेब्रुअरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= एएसपी|publisher= मनअमर पड़ाउनाहान्।उजाला|language=}}</ref>
 
हिन्दू धर्म का महान ग्रन्थ गीता माइ भगवान श्री कृष्ण ले अर्जुन लाइ "मुइ ऋतुउन माइ वसन्त ऋतु हुँ" भँणिराइछन्। पौराणिक तथा आधुनिक कविइन ले बसन्त ऋतु मथि सयौँ कविताअन लेखिराइछन्। वसन्त ऋतु तथा येइ का आगमन काल मी [[वसन्त पञ्चमी]], [[शिवरात्रि]] तथा [[हो:री]] लगायत काजवार मनायीनान् भारतीय सङ्गीत साहित्य रे कला मी येइ लाइ महत्वपूर्ण ठउर दियीरैछ। सङ्गीत मी यक विशेष राग वसन्त का नाउँ मी लगै बनायीरैछ जै लाइ [[राग बसन्त]] भँण्णाहान्। वसन्त राग मथि चित्र लगै बनायीर्याहान्।
 
== टीका टिप्पणी ==
"https://dty.wikipedia.org/wiki/वसन्त_ऋतु" बठे निकालियाऽ